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उदयपुर के युवाओं ने बेसहारा शवों का अंतिम संस्कार किया.

उदयपुर, राजस्थान: उदयपुर के युवाओं का एक समूह मानवता और निःस्वार्थ सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। ये

युवा ‘बैकुंठ धाम सेवा संस्थान’ से जुड़े हुए हैं और लावारिस (Unclaimed) शवों के अंतिम संस्कार का पवित्र कार्य करते हैं। समाज में जहाँ अंतिम संस्कार को अत्यधिक महत्व दिया जाता है, वहाँ बिना पहचान वाले शवों को सम्मान के साथ अंतिम विदाई देना वास्तव में एक महान कार्य है।

‘बैकुंठ धाम सेवा संस्थान’ की शुरुआत मांगीलाल सुथार ने वर्ष 2013 में की थी, जो पेशे से एक सब्जी व्यापारी हैं। उन्होंने शुरुआत में अपने संसाधनों से लावारिस शवों का सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार करना शुरू किया। आज तक, संस्थान से जुड़े 11 युवाओं की यह टीम 500 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुकी है। इनमें से 350 से अधिक शवों की अस्थियों को हरिद्वार में गंगा में विसर्जित भी किया गया है, ताकि मृत आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

युवाओं के इस समूह ने COVID महामारी के दौरान भी अत्यंत सराहनीय कार्य किया, जब लोग संक्रमण के डर से अपनों के शवों के पास जाने से भी डर रहे थे। संस्थान की ओर से बताया गया है कि पुलिस, अस्पताल, और आम जनता अब लावारिस शव मिलने पर सीधे उनसे संपर्क करते हैं। संस्थान अंतिम संस्कार का पूरा खर्च (जो लगभग 3000 रुपये प्रति व्यक्ति आता है) स्वयं वहन करता है, जिससे गरीब और बेसहारा परिवारों को भी मदद मिलती है। यह प्रयास समाज को एक नई दिशा दे रहा है कि मनुष्यता और दया ही सबसे बड़ा धर्म है।

 

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