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राइनो के लिए 12 प्रकार की घास की खेती।

जलदापारा, पश्चिम बंगाल: पश्चिम बंगाल के जलदापारा नेशनल पार्क में वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की दिशा में एक अनूठी और महत्वपूर्ण पहल की गई है।

पार्क के अधिकारी बड़े पैमाने पर हेक्टेयर भूमि पर 12 प्रकार की स्वदेशी घास की प्रजातियों को उगा रहे हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पार्क में बढ़ते राइनो, हाथी और हिरणों जैसे शाकाहारी वन्यजीवों की आबादी के लिए भोजन की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, ताकि मानव और वन्यजीवों के बीच सामंजस्य बना रहे।

जलदापारा में राइनो, हाथी और हिरण जैसे शाकाहारी वन्यजीवों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो पार्क के सफल संरक्षण प्रयासों का परिणाम है। हालांकि, जानवरों की बढ़ती आबादी के साथ, उनके लिए पर्याप्त भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक चुनौती बन गया है। पर्याप्त भोजन न मिलने पर ये जानवर अक्सर भोजन की तलाश में मानव बस्तियों और कृषि क्षेत्रों की ओर निकल पड़ते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं बढ़ जाती हैं और जान-माल का नुकसान होता है। वन अधिकारियों का मानना है कि विभिन्न प्रकार की देशी घासों को वैज्ञानिक तरीके से उगाने से जानवरों को पार्क के भीतर ही पर्याप्त भोजन मिलेगा, जिससे वे आवासीय क्षेत्रों में प्रवेश नहीं करेंगे।

यह परियोजना न केवल वन्यजीवों के लिए भोजन की उपलब्धता बढ़ाएगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में भी सहायक होगी। यह स्थायी संरक्षण प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जहां पारिस्थितिकी संतुलन और सामुदायिक कल्याण दोनों को समान रूप से महत्व दिया जाता है। वन अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि इस पहल से जलदापारा में मानव-वन्यजीव संघर्ष में उल्लेखनीय कमी आएगी, वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रखा जा सकेगा और क्षेत्र में एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा।

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