
यह बहिष्कार उनके मोबाइल फोन को प्रेस गैलरी में ले जाने पर लगाए गए प्रतिबंध के विरोध में किया गया।
घटना के मुख्य बिंदु:
पत्रकारों ने मोबाइल फोन ले जाने पर लगे प्रतिबंध के कारण विधानसभा कार्यवाही का बहिष्कार किया।
हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई थी।
सुरक्षा कर्मियों ने पत्रकारों को विधानसभा के प्रवेश द्वार पर ही मोबाइल ले जाने से रोक दिया।
पत्रकारों का कहना है कि मोबाइल फोन पर प्रतिबंध के कारण उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों पर असर पड़ा है।
इस फैसले के विरोध में पत्रकारों ने विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना दिया।
धरना प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने मोबाइल फोन पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की।
पत्रकारों का कहना था कि मोबाइल फोन उनकी रिपोर्टिंग का एक आवश्यक उपकरण है।
उन्होंने कहा कि इस प्रतिबंध से जनता तक सटीक और त्वरित समाचार पहुंचाने में कठिनाई हो रही है।
पत्रकार संगठनों ने इसे मीडिया की स्वतंत्रता पर प्रहार बताया।
विधानसभा के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस मामले को लेकर जल्द ही उचित कदम उठाया जाएगा।
कुछ राजनीतिक दलों ने भी पत्रकारों का समर्थन करते हुए प्रतिबंध हटाने की मांग की।
विपक्षी दलों ने इसे पत्रकारों के काम में बाधा डालने का प्रयास करार दिया।
प्रदर्शनकारी पत्रकारों ने कहा कि जब तक प्रतिबंध नहीं हटाया जाता, वे अपना विरोध जारी रखेंगे।
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि उनका विरोध लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत हो रहा है।
पत्रकार संगठनों ने कहा कि मोबाइल फोन के बिना रिपोर्टिंग करना बेहद कठिन हो जाता है।
प्रदर्शन के दौरान पत्रकारों ने “मीडिया की आज़ादी पर अंकुश बर्दाश्त नहीं” जैसे नारे लगाए।
विधानसभा अध्यक्ष ने पत्रकारों को वार्ता के लिए बुलाया और आश्वासन दिया कि समाधान जल्द निकाला जाएगा।
पत्रकार संगठनों ने उम्मीद जताई कि जल्द ही मोबाइल फोन पर लगा प्रतिबंध हटा लिया जाएगा।
मामला अभी चर्चा का विषय बना हुआ है और पत्रकार अपने रुख पर डटे हुए हैं।