सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना को लागू करने में हो रही देरी के लिए कड़ी फटकार लगाई है।
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने सड़कों का निर्माण तो किया, लेकिन लोगों के जीवन को नजरअंदाज कर दिया।

यह टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए आई, जिसमें सड़क दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल और मुफ्त चिकित्सा सहायता प्रदान करने की मांग की गई थी।
जस्टिस [जजों के नाम, यदि उपलब्ध हों] की बेंच ने केंद्र सरकार के वकील से पूछा कि योजना को अंतिम रूप देने और उसे लागू करने में इतना लंबा समय क्यों लग रहा है। कोर्ट ने कहा कि हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवाते हैं या गंभीर रूप से घायल होते हैं, और समय पर चिकित्सा सहायता न मिलने के कारण कई लोगों की जान बचाई जा सकती है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सड़कों का निर्माण महत्वपूर्ण है, लेकिन उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों के जीवन की सुरक्षा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस योजना को जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश दिया है और इस संबंध में उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि यह योजना सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, खासकर गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के लिए जो तत्काल चिकित्सा खर्च वहन करने में सक्षम नहीं हैं। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या कार्रवाई करती है और कब तक यह योजना धरातल पर उतरती है।