न्यायिक अधिकारी मानहानि मामले में पत्रकार को राहत, अदालत ने दी जमानत.
गलत खबर की साजिश जांच में सही पाई गई, मामला बना गंभीर मुद्दा.
यह मामला जुलाई 2020 में शुरू हुआ था। गिरिडीह के तत्कालीन सब-जज चतुर्थ मोहम्मद नईम अंसारी ने गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि सुनियोजित तरीके से उनके खिलाफ गलत समाचार प्रकाशित किया गया। इस खबर को उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने की साजिश बताया गया। उन्होंने थाने में लिखित शिकायत देते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई। प्राथमिकी IPC की धारा 385, 500, 501 और 502 के तहत दर्ज की गई। पुलिस ने शिकायत पर तत्काल जांच शुरू की। जांच के दौरान कई दस्तावेज और सबूत खंगाले गए। पुलिस ने पाया कि आरोप सतही नहीं थे। इसलिए मामला आगे बढ़ा।
अगस्त 2023 में पुलिस ने आरोप पत्र अदालत को सौंप दिया। सितंबर 2023 में अदालत ने मामले का संज्ञान लिया। इसके बाद अभियुक्तों को तलब किया गया। अन्य तीन अभियुक्त पहले ही जमानत पर बाहर थे। लेकिन पत्रकार अदालत में उपस्थित नहीं हुए। अदालत ने पहले जमानती वारंट जारी किया। इसके बाद भी उपस्थिति नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी हुआ। इस स्थिति के बाद पत्रकार ने अदालत में समर्पण किया। उन्होंने जमानत के लिए आवेदन दिया। अदालत ने समर्पण के बाद मामले की सुनवाई की। न्यायिक दंडाधिकारी ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी।
दस्तावेजों और आरोपों का अध्ययन करने के बाद अदालत ने जमानत मंजूर कर ली। अदालत ने कहा कि मुकदमे के दौरान अभियुक्त का उपस्थित रहना अनिवार्य है। पत्रकार को शर्तों के साथ राहत प्रदान की गई। कोर्ट के इस फैसले से संबंधित पक्षों में संतोष देखा गया। हालांकि मामला अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। आगे की सुनवाई में कई महत्वपूर्ण बिंदु सामने आ सकते हैं। पुलिस भी मामले पर निगरानी बनाए हुए है। यह मामला न्यायपालिका की गरिमा से जुड़ा होने के कारण व्यापक चर्चा में रहा है। मीडिया जगत में भी मामले को गंभीरता से देखा जा रहा है। आगे की कार्यवाही पर सभी की नजर है।



