चंडीगढ़: पंजाब में पराली जलाने (Farm Fires) की घटनाओं में अचानक बड़ा उछाल आया है। सोमवार को राज्य में एक ही दिन में 283 मामले दर्ज किए गए, जो इस सीजन का अब तक का सबसे बड़ा एकल-दिवसीय आंकड़ा है। यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब पड़ोसी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) पहले से ही जहरीले प्रदूषण के गंभीर संकट से जूझ रहे हैं। यह स्थिति पंजाब सरकार और स्थानीय प्रशासन के नियंत्रण उपायों पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
इस नवीनतम वृद्धि के साथ, 15 सितंबर से अब तक दर्ज किए गए पराली जलाने के मामलों की कुल संख्या 1,216 तक पहुँच गई है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि किसानों द्वारा सरकारी प्रतिबंधों और जागरूकता अभियानों की अनदेखी की जा रही है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में जब धान की कटाई चरम पर होगी, तब ये संख्याएँ और भी अधिक बढ़ सकती हैं, जिससे उत्तरी भारत में वायु गुणवत्ता और भी खराब हो जाएगी। किसान पराली को अगली फसल की बुवाई के लिए खेत को जल्दी तैयार करने हेतु जलाते हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और कृषि विभाग के अधिकारी अब सक्रिय कार्रवाई करने की योजना बना रहे हैं। प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने और सब्सिडी वापस लेने जैसे सख्त कदम उठाने की चेतावनी दी है। सरकार को न केवल दंडात्मक कार्रवाई करनी होगी, बल्कि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए वैकल्पिक और सस्ती तकनीकें भी उपलब्ध करानी होंगी। इस संकट पर काबू पाने के लिए अंतर-राज्यीय समन्वय और किसानों के सहयोग की सख्त जरूरत है।



