
यह धोखाधड़ी उन सिविल कार्यों से संबंधित है जिन्हें कभी निष्पादित ही नहीं किया गया।
पुलिस के अनुसार, गगन कुरेल और अरुण गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने ऐसे सिविल कार्यों के लिए धोखाधड़ी से भुगतान प्राप्त किया, जो कागजों पर तो दिखाए गए लेकिन वास्तव में कभी किए ही नहीं गए। यह एक गंभीर वित्तीय अनियमितता है जो सरकारी धन के दुरुपयोग को दर्शाता है। पुलिस ने इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है ताकि इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों और पूरे नेटवर्क का पता लगाया जा सके।
इस गिरफ्तारी से सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश गया है। जांच एजेंसियां इस तरह के मामलों में शामिल अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।