बॉम्बे हाई कोर्ट ने म्हाडा के खिलाफ न्यायिक जांच का आदेश दिया
मुंबई, महाराष्ट्र: बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में महाराष्ट्र गृहनिर्माण और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा - MHADA) के खिलाफ न्यायिक जांच का आदेश दिया है।

यह आदेश उन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया है, जिनमें म्हाडा द्वारा जारी किए गए पुनर्विकास नोटिसों को चुनौती दी गई थी। इस कदम से म्हाडा के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होने की उम्मीद है।
न्यायमूर्ति गिरीश कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ ने म्हाडा के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई की। इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि म्हाडा द्वारा दिए गए पुनर्विकास नोटिस मनमाने थे और उनमें उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। याचिकाकर्ताओं, जो मुंबई के विभिन्न हिस्सों के निवासी हैं, ने इन नोटिसों के कारण होने वाली समस्याओं और संभावित बेदखली के डर को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
हाई कोर्ट का यह न्यायिक जांच का आदेश यह सुनिश्चित करेगा कि म्हाडा द्वारा पुनर्विकास परियोजनाओं से संबंधित सभी प्रक्रियाओं और नोटिसों की गहराई से जांच की जाए। यह फैसला उन हजारों निवासियों के लिए एक बड़ी राहत हो सकता है जो मुंबई में पुनर्विकास परियोजनाओं से प्रभावित हो रहे हैं। उम्मीद है कि यह जांच म्हाडा के कामकाज में अधिक पारदर्शिता लाएगी और प्रभावित पक्षों के अधिकारों की रक्षा करेगी।