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मलप्पुरम: केरल के मलप्पुरम जिले के कोंडोट्टी पुल्लिकल एलपी स्कूल में छात्रों को पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ टिकाऊ खेती के बारे में भी सिखाया जाता है।

स्कूल भोजन के कचरे और जैविक पदार्थों का उपयोग करके प्राकृतिक उर्वरक बनाता है, जो संसाधनशीलता और स्थिरता का एक और सबक है।

घटना का विवरण:

  • कोंडोट्टी पुल्लिकल एलपी स्कूल में छात्रों को टिकाऊ खेती के बारे में सिखाया जाता है।
  • स्कूल भोजन के कचरे और जैविक पदार्थों का उपयोग करके प्राकृतिक उर्वरक बनाता है।
  • स्कूल में छात्रों को सब्जियां उगाना और उनकी देखभाल करना सिखाया जाता है।
  • स्कूल में छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाता है।
  • स्कूल में छात्रों को आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया जाता है।
  • स्कूल में छात्रों को प्राकृतिक संसाधनों का महत्व समझाया जाता है।
  • स्कूल में छात्रों को कचरे का सही तरीके से निपटान करना सिखाया जाता है।
  • स्कूल में छात्रों को जैविक खेती के फायदे बताए जाते हैं।
  • स्कूल में छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया जाता है।
  • स्कूल में छात्रों को सामुदायिक भावना का विकास किया जाता है।

यह खबर क्यों महत्वपूर्ण है?

  • यह खबर हमें बताती है कि बच्चों को कम उम्र से ही पर्यावरण के प्रति जागरूक करना कितना महत्वपूर्ण है।
  • यह खबर हमें यह भी बताती है कि टिकाऊ खेती भविष्य के लिए कितनी जरूरी है।

हमें क्या करना चाहिए?

  • हमें बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना चाहिए।
  • हमें टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना चाहिए।
  • हमें प्राकृतिक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए।

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