
कोयंबटूर, 21 मई: तमिलनाडु में सार्वजनिक स्थानों और दुकानों पर तमिल भाषा में नामपट्टियों को अनिवार्य किए जाने की मांग पिछले कुछ वर्षों से तमिल कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों द्वारा उठाई जा रही है। अब राज्य सरकार ने इसे लेकर सख्त रुख अपनाया है। विकास विभाग और श्रम कल्याण आयोग ने स्पष्ट किया है कि राज्य में सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, दुकानों और भोजनालयों पर तमिल भाषा में नामपट्टी होना अनिवार्य है, अन्यथा कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार ने यह भी निर्देश जारी किए हैं कि सभी सरकारी आदेशों और परिपत्रों में तमिल भाषा का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाए। इसके अलावा, राज्य सरकार के कर्मचारियों को अपने हस्ताक्षर भी केवल तमिल में करने के लिए कहा गया है। इस कदम का उद्देश्य राज्य की संस्कृति और भाषा को प्राथमिकता देना है।
इस बीच, मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन नीलगिरी जिले के पांच दिवसीय दौरे पर पहुंचे, जहां उन्होंने मुदुमलई के थेप्पाकाड हाथी शिविर में विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने 13 करोड़ रुपये की लागत से शुरू की गई कल्याणकारी परियोजनाओं को जनता को समर्पित किया। उन्होंने राज्य में तमिल भाषा को बढ़ावा देने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई।