इन अधिकारियों, एचपीएस कालरा और महिंदर भारती, पर आरोप है कि उन्होंने ‘महान कोष’ के पुनर्मुद्रित संस्करणों को नष्ट करने में लापरवाही बरती, जिसे सिखों का एक पवित्र ग्रंथ माना जाता है। इस घटना से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने तत्काल प्रभाव से दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और एक उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया है। इस जांच से यह पता लगाया जाएगा कि ‘महान कोष’ को नष्ट करने में क्या चूक हुई थी।
‘महान कोष’ सिख साहित्य और इतिहास का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, और इसका अनादर करना एक गंभीर अपराध माना जाता है। इस घटना ने एक बार फिर से इस बात पर जोर दिया है कि पवित्र ग्रंथों और धार्मिक प्रतीकों के प्रति सम्मान बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।



