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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने विकलांगता पेंशन पर 45 याचिकाएँ खारिज की.

श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में रक्षा मंत्रालय द्वारा दायर की गई 45 सरकारी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

ये याचिकाएँ सेना के पूर्व सैनिकों (Army Veterans) को विकलांगता पेंशन (Disability Pensions) दिए जाने के सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (Armed Forces Tribunal-AFT) के आदेशों को चुनौती देती थीं। हाईकोर्ट के इस निर्णय को पूर्व सैनिकों की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, जो उनके अधिकारों की रक्षा करता है।

हाईकोर्ट ने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के उन आदेशों को बरकरार रखा है, जो यह पुष्टि करते हैं कि सेवा के दौरान विकलांग हुए पूर्व सैनिक विकलांगता पेंशन के हकदार हैं। कोर्ट ने अपने फैसले में प्रिंसिपल कंट्रोलर ऑफ डिफेंस अकाउंट्स (PCDA) की अधिकार सीमा को भी सीमित किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चिकित्सा मूल्यांकन (Medical Assessments) पर PCDA का अत्यधिक हस्तक्षेप सही नहीं है, क्योंकि यह सैन्य चिकित्सकों द्वारा निर्धारित किया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि सशस्त्र बलों में सेवा के दौरान होने वाली विकलांगताएँ सैनिकों के कर्तव्यों की कठिन प्रकृति से जुड़ी होती हैं। यह फैसला न केवल उन 45 पूर्व सैनिकों को न्याय दिलाएगा, बल्कि देश भर के कई अन्य विकलांग पूर्व सैनिकों के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा, जिन्हें अपनी वैध पेंशन प्राप्त करने के लिए लम्बी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। इस निर्णय ने पूर्व सैनिकों के कल्याण के प्रति न्यायपालिका की प्रतिबद्धता को मजबूत किया है।

 

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