सरिस्का में बाघों की बढ़ती आबादी में ‘राजमाता’ की अहम भूमिका.
सरिस्का, राजस्थान: राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों की आबादी को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में 'राजमाता' नामक बाघिन का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है।

रणथंभौर से बाघों के पुनर्वास के बाद सरिस्का में बाघों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, और इसमें राजमाता का योगदान अतुलनीय रहा है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों का पुनरुद्धार तब शुरू हुआ जब रणथंभौर से बाघों को यहां स्थानांतरित किया गया। यह एक महत्वाकांक्षी परियोजना थी जिसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में बाघों को फिर से स्थापित करना था जहां वे स्थानीय रूप से विलुप्त हो गए थे। इस पुनरुद्धार कार्यक्रम की सफलता में कई कारकों ने भूमिका निभाई, लेकिन बाघिन ‘राजमाता’ (एसटी-2) अकेले वर्तमान बाघ आबादी के 50 प्रतिशत से अधिक की जननी है। उसकी लगातार सफल प्रजनन क्षमता ने सरिस्का में बाघों की संख्या को तेजी से बढ़ाने में मदद की है।
राजमाता की कहानी सरिस्का के लिए एक आशा की किरण है और यह संरक्षण प्रयासों की सफलता का एक शानदार उदाहरण है। उसके वंशजों के कारण, सरिस्का में अब एक स्वस्थ और बढ़ती हुई बाघ आबादी है, जो इस टाइगर रिजर्व के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है।