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22 अप्रैल को पहलगाम के हरे-भरे बैसरन के जंगल की ढलानों पर खून बिखर गया, जब आतंकवादियों ने 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली, जिससे कभी गुलजार रहने वाली यह जगह खामोश हो गई।

 इस नरसंहार ने क्षेत्र में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है और पीड़ितों के परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकवादियों ने अचानक हमला कर दिया और अंधाधुंध गोलियां बरसाईं, जिससे घटनास्थल पर चीख-पुकार मच गई। हमले में मारे गए लोगों में पर्यटक और स्थानीय लोग दोनों शामिल थे, जो उस समय शांतिपूर्ण माहौल में प्रकृति का आनंद ले रहे थे। घायलों की चीखें और अपनों को खोने वालों का विलाप पूरे इलाके में गूंज रहा था।

इस भयावह घटना के बाद, सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर लिया है और तलाशी अभियान जारी है ताकि हमलावरों को पकड़ा जा सके। सरकार ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। इस नरसंहार ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की क्रूरता को उजागर किया है और शांति की उम्मीदों को गहरा झटका पहुंचाया है।

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