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भूकंप जोखिम को कम करने के लिए 20 करोड़ इमारतों के रेट्रोफिटिंग पर जोर

नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने भूकंप संभावित क्षेत्रों में 20 करोड़ इमारतों को मजबूत करने के लिए रेट्रोफिटिंग पर जोर दिया है।

मुख्य बिंदु:
भारत में करीब 20 करोड़ इमारतें भूकंप संभावित क्षेत्रों में स्थित हैं।
NDMA के सदस्य कृष्ण एस वत्स ने रेट्रोफिटिंग को जरूरी बताया।
भूकंपरोधी निर्माण न होने के कारण पुरानी इमारतों पर खतरा अधिक है।
रेट्रोफिटिंग से इमारतों को भूकंपरोधी बनाया जा सकता है।
सीस्मिक ज़ोन IV और V में सबसे ज्यादा खतरा है।
जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, बिहार और पूर्वोत्तर राज्य सीस्मिक ज़ोन V में आते हैं।
दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, सikkim, पश्चिम बंगाल और गुजरात सीस्मिक ज़ोन IV में हैं।
अनधिकृत कॉलोनियों में बने मकानों में भूकंपरोधी तकनीक का अभाव है।
दिल्ली में 1,760 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियां हैं।
SPA के प्रोफेसर पीएसएन राव ने इमारतों को NBC मानकों के तहत बनाने की सलाह दी।
पुरानी इमारतों का सर्वे कर उनकी सुरक्षा जांच की जाएगी।
भूकंप से बचाव के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।
सरकार नीतियों में बदलाव कर भवन निर्माण संहिता लागू करेगी।
शहरों की योजना में भूकंपरोधी उपायों को शामिल किया जाएगा।
विशेषज्ञों ने जोखिम प्रबंधन पर मंथन किया।
विकास कार्यों में भूकंप सुरक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत बताई गई।
रेट्रोफिटिंग के लिए सरकार अनुदान देने पर विचार कर रही है।
भारत में कई बड़े शहर भूकंप संभावित क्षेत्रों में स्थित हैं।
भूकंपरोधी उपायों के बिना बड़ी जनहानि की संभावना रहती है।
NDMA ने केंद्र और राज्य सरकारों को त्वरित कार्रवाई का सुझाव दिया।

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