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जबलपुर दंपति ने बनाई हर्बल गुलाल, केमिकल रंगों से दूर रहने की अपील.

सुजाली को साल 2023 में ओवेरियन कैंसर होने का पता चला था और तब से वह कीमोथेरेपी का इलाज ले रही हैं।

यह हर्बल गुलाल भले ही थोड़ा महंगा है, लेकिन स्वास्थ्य के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।

प्रमुख बातें
जबलपुर के इस दंपति ने प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और फूलों के अर्क से हर्बल गुलाल तैयार किया है।
दंपति ने बताया कि यह गुलाल त्वचा के लिए सुरक्षित है और इससे आंखों को कोई हानि नहीं होती।
हर्बल गुलाल में हल्दी, मेंहदी, गुलाब और पालक जैसे प्राकृतिक तत्वों का इस्तेमाल किया गया है।
इन रंगों में किसी भी प्रकार का केमिकल या हानिकारक पदार्थ नहीं डाला गया है।
दंपति का मानना है कि केमिकल रंगों के कारण त्वचा रोग और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं।
लोगों को दिया संदेश
दंपति ने लोगों से अपील की कि वे इस बार होली पर केमिकल रंगों का त्याग करें।
उन्होंने बताया कि केमिकल गुलाल में अक्सर मार्बल पाउडर का प्रयोग होता है, जो त्वचा के लिए हानिकारक होता है।
हर्बल गुलाल भले ही थोड़ा महंगा है, लेकिन इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है।
उन्होंने स्कूलों और कॉलेजों में जाकर भी हर्बल गुलाल के फायदों के बारे में जागरूकता फैलाई।
स्थानीय लोग इस पहल की जमकर सराहना कर रहे हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
डॉक्टरों का कहना है कि केमिकल रंगों से एलर्जी, खुजली और त्वचा रोग का खतरा बढ़ जाता है।
हर्बल गुलाल प्राकृतिक तत्वों से बना होता है, जो बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी सुरक्षित है।
विशेषज्ञों ने भी लोगों से अपील की है कि इस बार होली पर सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें।
हर्बल गुलाल पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होता है क्योंकि यह मिट्टी में आसानी से घुल जाता है।
यह पहल समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

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