
श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर: दक्षिण कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में पिछले दो वर्षों में जंगली जानवरों, विशेषकर भालू और तेंदुओं के हमलों में 92 मवेशियों की मौत हो गई है। यह स्थिति स्थानीय ग्रामीणों के लिए एक गंभीर चुनौती बन गई है, क्योंकि उनके पशुधन पर लगातार हमला हो रहा है।
कश्मीर विश्वविद्यालय के प्राणीशास्त्र विभाग द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, शिकार की घटनाएं जून और जुलाई में चरम पर होती हैं, बल्कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को भी बढ़ा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मवेशी अक्सर परिवारों की आजीविका का मुख्य आधार होते हैं, और इन हमलों से उनकी आर्थिक सुरक्षा पर सीधा खतरा मंडरा रहा है।
वन्यजीव विभाग और स्थानीय प्रशासन इस समस्या से निपटने के लिए प्रयास कर रहे हैं, जिसमें ग्रामीणों को जागरूक करना और जंगली जानवरों के हमलों से बचाव के तरीके बताना शामिल है। हालांकि, समस्या की गंभीरता को देखते हुए, वन्यजीव प्रबंधन और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि ग्रामीणों के पशुधन की रक्षा की जा सके और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।