दुमका में हुई इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं कि सड़क सुरक्षा पर जिम्मेदार एजेंसियां कब ध्यान देंगी। दो महिलाओं की मृत्यु मात्र एक हादसा नहीं, बल्कि लापरवाही का परिणाम है। ग्रामीण सड़कों पर भारी वाहनों की स्पीड नियंत्रण में रखने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।
कराम पूजा से लौट रहीं संझली बास्की और बाहामुनी हेम्ब्रम की मौत ने दो परिवारों की खुशियाँ छीन ली हैं। हादसे में शामिल टैंकर रोड कंस्ट्रक्शन कंपनी का था, जिससे जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। चालक के व्यवहार और वाहन की नियमित जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ग्रामीण इलाकों की सड़कों पर भारी वाहनों की आवाजाही पर सख्त नियम लागू किए जाएं। लोगों की जान सिर्फ आंकड़ा नहीं होती, यह किसी का पूरा संसार होती है। जांच पूरी हो और दोषियों पर कार्रवाई हो—यही ग्रामीणों की मांग है।



