MBA ग्रेजुएट प्रतिभा थक्कादपल्ली ने बॉक्सिंग रिंग को चुना.
6,000 लड़कियों को सिखाया आत्मरक्षा का पाठ.

आज, वह सिर्फ एक मुक्केबाज नहीं, बल्कि एक प्रेरणा हैं, जिन्होंने 6,000 से अधिक लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिया है।
प्रतिभा का बचपन एक छोटे से शहर में बीता, जहाँ पितृसत्तात्मक सोच हावी थी। लेकिन उन्होंने इस सोच को मात देते हुए न केवल मुक्केबाजी में महारत हासिल की, बल्कि समाज की रूढ़िवादी धारणाओं के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। उन्हें अब ‘पितृसत्ता और मुक्कों’ दोनों से लड़ने वाली एक चैंपियन के रूप में जाना जाता है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि ताकत का मतलब सिर्फ शारीरिक बल नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता भी है।
प्रतिभा का लक्ष्य है कि हर लड़की खुद को सुरक्षित महसूस करे और किसी भी परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हो। उनका यह प्रयास न केवल लड़कियों को सशक्त बना रहा है, बल्कि समाज में महिलाओं के प्रति सोच को भी बदल रहा है। यह एक कहानी है जो सपनों को पूरा करने और दूसरों के जीवन में बदलाव लाने की शक्ति को दर्शाती है।