पर्यावरण संरक्षण और जल संसाधनों के उचित उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में यह कदम उठाया गया है। NGT का यह आदेश भूजल के अंधाधुंध दोहन को नियंत्रित करने के लिए नियामक सख्ती को दर्शाता है।
अधिकरण ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों (Greater NOIDA Authorities) को यह रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। NGT यह सुनिश्चित करना चाहता है कि रियल एस्टेट परियोजनाओं के निर्माण और संचालन में पर्यावरण मानदंडों का उल्लंघन न हो और जल संरक्षण के नियमों का सख्ती से पालन किया जाए। न्यायालय में दायर एक याचिका में आरोप लगाया गया था कि ये परियोजनाएँ अवैध रूप से भूजल निकाल रही हैं, जिससे क्षेत्र के भूजल स्तर में भारी गिरावट आ रही है।
NGT ने दोनों प्राधिकरणों से भूजल के उपयोग की वर्तमान स्थिति, परियोजनाओं को दिए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOCs) की संख्या और अवैध रूप से भूजल निकालने वाली परियोजनाओं पर की गई कार्रवाई का विस्तृत विवरण देने को कहा है। अधिकरण ने स्पष्ट किया है कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस कदम से यह उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में भूजल प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और टिकाऊ बनाया जा सकेगा।



