सुप्रीम कोर्ट ने ग्लास ग्लेजिंग हटाने का फैसला किया.
नई दिल्ली: भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ (फुल कोर्ट) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कोर्ट रूम नंबर एक से पांच के सामने लगी ग्लास ग्लेजिंग को हटाने का फैसला किया है।

यह निर्णय बार निकायों से प्राप्त एक प्रतिनिधित्व पर विचार करने के बाद लिया गया है, जिसमें अदालती कक्षों की ‘मूल भव्यता’ (original grandeur) को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई थीं।
पिछले कुछ समय से, सर्वोच्च न्यायालय के कुछ कोर्ट रूम में आधुनिकता के नाम पर शीशे की ग्लेजिंग लगाई गई थी, जिसका उद्देश्य शायद ध्वनि इन्सुलेशन या सौंदर्यशास्त्र में सुधार करना था। हालांकि, वकीलों और बार निकायों का मानना था कि यह बदलाव इन ऐतिहासिक कोर्ट रूम की मूल वास्तुकला और गरिमा को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि यह न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता के साथ न्याय नहीं करता है और कोर्ट की पारंपरिक भव्यता को कम करता है।
सर्वोच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ, जिसमें सभी न्यायाधीश शामिल होते हैं, ने इस प्रतिनिधित्व पर गंभीरता से विचार किया। यह निर्णय दर्शाता है कि न्यायालय न केवल आधुनिक सुविधाओं को अपनाता है, बल्कि अपनी ऐतिहासिक पहचान और परंपराओं को बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध है। ग्लास ग्लेजिंग हटाने से इन कोर्ट रूम को उनकी मूल स्थिति में बहाल करने में मदद मिलेगी, जिससे न्यायिक कार्यवाही के लिए अधिक पारंपरिक और सम्मानजनक माहौल तैयार होगा।