जिसके मद्देनजर आज ‘क्लाउड सीडिंग’ (Cloud Seeding) का प्रायोगिक परीक्षण किए जाने की योजना है। राजधानी की वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में मामूली सुधार दर्ज किया गया है, लेकिन यह अभी भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है। नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली का AQI 306 दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी के करीब है और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार अब कृत्रिम बारिश यानी क्लाउड सीडिंग जैसी असामान्य तकनीकों का सहारा लेने की तैयारी में है। विशेषज्ञों की एक टीम ने इस तकनीक को आजमाने की योजना बनाई है, जिसका उद्देश्य प्रदूषण के कणों को बारिश के माध्यम से जमीन पर बिठाना है। इस प्रायोगिक परीक्षण की सफलता पर ही व्यापक क्लाउड सीडिंग अभियान का भविष्य निर्भर करेगा। हालांकि, कई मौसम वैज्ञानिकों ने इस तकनीक की प्रभावशीलता और लागत पर संदेह व्यक्त किया है।
वायु गुणवत्ता में मामूली सुधार (306 AQI) के बावजूद, अधिकारियों ने नागरिकों से एहतियात बरतने की अपील की है। GRAP (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के तहत कई सख्त प्रतिबंध, जैसे कि निर्माण कार्यों पर रोक और पुराने वाहनों पर नियंत्रण, अभी भी लागू हैं। सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि दीर्घकालिक समाधानों पर काम करना आवश्यक है, लेकिन तत्काल राहत के लिए क्लाउड सीडिंग जैसे नवीन उपाय भी जरूरी हैं। यह परीक्षण प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।



