कोझिकोड/कोच्चि: केरल हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक और कड़ा फैसला सुनाते हुए 2013 के बहुचर्चित अदिति हत्याकांड में बच्ची के पिता और सौतेली माँ को उम्रकैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के पहले के आदेश को पलट दिया है, जिसने आरोपियों को बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने पाया कि छह वर्षीय अदिति को क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित किया गया, जलाया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। यह फैसला बाल संरक्षण और न्याय प्रणाली की सटीकता को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में बचपन की क्रूर हत्या के इस मामले में सबूतों और परिस्थितियों की गहन समीक्षा की। कोर्ट ने रिकॉर्ड पर मौजूद मेडिकल और फॉरेंसिक साक्ष्यों को निर्णायक माना, जिससे यह स्थापित हुआ कि बच्ची को मारने से पहले भयानक यातनाएँ दी गई थीं। जस्टिस ने टिप्पणी की कि आरोपी पिता और सौतेली माँ का यह कृत्य मानवीय क्रूरता की पराकाष्ठा है और वे किसी भी तरह की दया के पात्र नहीं हैं। इस फैसले से न्याय की उम्मीद लगाए बैठे लोगों, विशेषकर बच्ची की माँ और रिश्तेदारों, को बड़ी राहत मिली है।
इस मामले में कोर्ट ने ‘बचाव ही नियम है’ (Bail is a rule) के सिद्धांत से अलग हटकर, दोषी पाए गए पिता और सौतेली माँ को उनकी शेष प्राकृतिक आयु तक जेल में रहने की सजा सुनाई है। यह निर्णय स्पष्ट संदेश देता है कि बच्चों के खिलाफ घिनौने अपराध करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। अदालत ने पुलिस और अभियोजन पक्ष को बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में सटीक और मजबूत साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। यह फैसला समाज में पारिवारिक हिंसा के प्रति एक सख्त चेतावनी भी है।



