पुनरुत्थान का पर्व, ईस्टर जितना प्यार पाता है, उससे कहीं अधिक का हकदार है। यदि ईस्टर नहीं होता, तो ईसाई धर्म प्राचीन रोमन इतिहास में एक फुटनोट बनकर रह जाता।
यह त्योहार ईसा मसीह के मृत्यु के बाद पुनर्जीवित होने की घटना का स्मरण कराता है, जो ईसाई धर्म की नींव है और इसके अनुयायियों के लिए गहरी आस्था और उम्मीद का प्रतीक है।
ईस्टर का महत्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान तक ही सीमित नहीं है; यह मानवता के लिए आशा और नई शुरुआत का संदेश भी देता है। ईसा मसीह का पुनरुत्थान मृत्यु पर जीवन की विजय और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। यह घटना ईसाई धर्म के अनुयायियों को यह विश्वास दिलाती है कि मृत्यु अंतिम सत्य नहीं है, बल्कि इसके बाद एक नया जीवन है। इसी कारण से, ईस्टर क्रिसमस से भी अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह ईसाई धर्म के केंद्रीय सिद्धांत को स्थापित करता है।
हालांकि, ईस्टर को अक्सर क्रिसमस की तरह व्यापक प्रचार और व्यावसायिक महत्व नहीं मिलता है। क्रिसमस, ईसा मसीह के जन्म का त्योहार, अपनी सजावट, उपहारों और पारिवारिक समारोहों के कारण अधिक लोकप्रिय दिखता है। जबकि ये पहलू महत्वपूर्ण हैं, ईस्टर का आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व कहीं अधिक गहरा है। यह पुनरुत्थान का संदेश है जो ईसाई धर्म को अद्वितीय बनाता है और दुनिया भर के लाखों लोगों को आशा और प्रेरणा प्रदान करता है। इसलिए, ईस्टर को वह सम्मान और महत्व मिलना चाहिए जिसका वह वास्तव में हकदार है।
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