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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पाँच वर्षीय मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में दो दोषियों को मौत की सज़ा सुनाई है।
अदालत ने इस मामले को ‘दुर्लभतम से दुर्लभ’ की श्रेणी में रखते हुए यह फैसला सुनाया। न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि दोषियों का कृत्य इतना भयानक और अमानवीय था कि उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं है। यह फैसला समाज में बढ़ते बाल अपराधों के खिलाफ एक सख्त संदेश देता है।
अदालत में पेश किए गए सबूतों के अनुसार, दोनों दोषियों ने बच्ची को उसके घर के बाहर खेलते हुए बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गए थे। इसके बाद, उन्होंने बेरहमी से बच्ची के साथ दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद, दोनों ने बच्ची के शव को छिपाने की भी कोशिश की ताकि अपने घिनौने अपराध को छिपाया जा सके। पुलिस ने सघन तलाशी अभियान के बाद बच्ची के शव को बरामद किया और दोनों आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया था।
इस पूरे मामले की तेज सुनवाई की गई ताकि पीड़ित परिवार को जल्द न्याय मिल सके। कोर्ट के इस फैसले का पीड़ित परिवार और आम लोगों ने स्वागत किया है। फैसले से यह साबित होता है कि बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराधों के लिए हमारे देश में कड़े कानून हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यह न्याय सिर्फ पीड़ित परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि समाज में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।



