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लद्दाख में कश्मीरी केसर की खेती का नया प्रयास, तंगमार्ग के बीजों से होगी शुरुआत.
लद्दाख: लद्दाख के कृषि विभाग ने इस साल केसर की खेती को लेकर नया प्रयास शुरू किया है।
इस प्रयोग के तहत तंगमार्ग (कश्मीर) के केसर के बीजों का उपयोग किया जाएगा। इस परियोजना में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) – भारतीय एकीकृत औषधीय संस्थान (IIIM) का तकनीकी सहयोग लिया जा रहा है।
प्रमुख बातें
- लद्दाख के कृषि विभाग ने केसर की खेती का ट्रायल प्रोजेक्ट शुरू किया है।
- इस प्रयोग के लिए तंगमार्ग (कश्मीर) के केसर के बीजों का उपयोग किया जाएगा।
- वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR-IIIM) इस प्रोजेक्ट में तकनीकी सहयोग दे रहा है।
- केसर की खेती के लिए लद्दाख के ठंडे और शुष्क जलवायु को अनुकूल माना गया है।
- विशेषज्ञों के अनुसार, लद्दाख में केसर की खेती सफल होने पर स्थानीय किसानों को बड़े पैमाने पर लाभ मिल सकता है।
उद्देश्य और संभावनाएं
- लद्दाख के किसान पारंपरिक फसलों के अलावा अब केसर की खेती से भी आय अर्जित कर सकेंगे।
- केसर की खेती से क्षेत्रीय कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
- वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद जताई जा रही है।
- लद्दाख में केसर उत्पादन सफल होने पर यह क्षेत्र उच्च गुणवत्ता वाले केसर के नए केंद्र के रूप में उभरेगा।
- यह परियोजना किसानों के लिए रोजगार और आय के नए अवसर प्रदान कर सकती है।
तकनीकी सहयोग और तैयारी
- CSIR-IIIM ने लद्दाख के कृषि विभाग को केसर उत्पादन के वैज्ञानिक तरीके सिखाए हैं।
- मिट्टी की जांच, तापमान नियंत्रण और उर्वरक के संतुलन को लेकर विशेष निर्देश दिए गए हैं।
- कृषि वैज्ञानिक इस परियोजना पर लगातार नजर रखेंगे और समय-समय पर मार्गदर्शन देंगे।
- बीज रोपण से लेकर फूल खिलने तक के प्रत्येक चरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
- इस प्रयोग की सफलता से लद्दाख के किसानों को बड़े पैमाने पर केसर की खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
स्थानीय प्रतिक्रिया
- लद्दाख के किसानों ने इस परियोजना का स्वागत किया है।
- किसानों को उम्मीद है कि केसर की खेती सफल होने से उनकी आय में वृद्धि होगी।
- कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह परियोजना लद्दाख के कृषि परिदृश्य में बदलाव लाएगी।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि प्रयोग सफल रहा तो लद्दाख की केसर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
- इस पहल को लद्दाख के लिए एक ऐतिहासिक कृषि प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है।